भौतिक प्रकृति तीन गुणों से युक्त है। ये हैं—सतो, रजो तथा तमोगुण। हे महाबाहु अर्जुन! जब शाश्वत जीव प्रकृति के संसर्ग में आता है, तो वह इन गुणों से बँध जाता है।
तात्पर्य
दिव्य होने के कारण जीव को इस भौतिक प्रकृति से कुछ भी लेना देना नहीं है। फिर भी भौतिक जगत् द्वारा बद्ध हो जाने के कारण वह प्रकृति के तीनों गुणों के जादू के वशीभूत होकर कार्य करता है। चूँकि जीवों को प्रकृति की विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के शरीर मिले हुए हैं, अतएव वे उसी प्रकृति के अनुसार कर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं। यही अनेक प्रकार के सुख-दु:ख का कारण है।
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